Sample for Hindi Documentry Content
माँ बनने पर जो ख़ुशी मिलती है, वो कोई भी लड़की शब्दों में बयाँ नहीं
कर सकती.
लेकिन
साथ ही अपनी बेटी को दुनिया की हर खुशी देने की जो चाह होती है, उससे एक अलग-सी शक्ति आ जाती है.
मेरे
सास-ससुर को पोता चाहिये था और जब मुझे ट्विन्स डाटर हुई तो वे हॉस्पिटल में हमसे
मिलने भी नहीं आये.
मैंने
अपनी बेटियों को अच्छे कपड़ों, खिलौनों
और अच्छे खाने के लिए तरसते देखा.
बस
उसी समय तय कर लिया कि अब कुछ ऐसा करना है कि मेरी बेटियाँ राजकुमारी की तरह रहे
और कोई भी मुझे बेटा न होने का ताना न मारे.
पहली
ऑप्शन थी कि अपनी एक साल की बच्चियों को उनकी नानी के यहाँ ड्राप करके मैं स्कूल
टीचर बन जाऊं.
जिससे
मुझे महज 20 हजार रूपये महीने के मिलते लेकिन टीचिंग कभी मेरा पैशन नहीं था. मुझे
क्रिएटिविटी पसंद थी और केक बेकिंग और डेकोरेशन में मैं मास्टर थी. आजकल सोशल
मीडिया पर एड करना काफी आसान है.
बस
अलग-अलग तरह के केक मैं घर से बनाकर सेल करने लगी. अच्छा मार्जिन मिलता था. आजकल
लोग डेजर्ट में मिठाइयों की जगह केक ही प्रेफर करते है.
मेरी
बेटियाँ मेरा पूरा साथ देती. दोनों साथ में खेलती रहती और मेरा काम आसानी से हो
जाता.
लेकिन
अब अगर कुछ बड़ा करना था तो प्लेटफार्म भी बड़ा ही चाहिये था. मेरे इन लाज और
हस्बैंड के सपोर्ट के बिना मुझे ऐसा कोई प्लेटफार्म चाहिये था जो मेरी क्रिएटिविटी
और इनकम – दोनों में इजाफा करे.
फिर
मुझे ... के बारे में पता चला. जहाँ बहुत ही अच्छी रेट्स पर मुझे काम मिलने लगा.
अब मेरी बेटियाँ प्ले में जाने लगी थी और पूरे तीन घंटे मैं बेकिंग करती और फिर
उन्हें सुलाकर मैं उस प्लेटफार्म के जरिये आसानी से ऑर्डर्स डिलीवर करती.
अर्श
से फर्श तक का सफर बेहद खुशनुमा रहा. बिना एक शब्द कहे मैंने अपने इन लाज को बता
दिया कि अगर हौसला हो तो क्या नहीं किया जा सकता. आज वे खुद मुझे सपोर्ट करते है
और बच्चियों को पूरा प्यार देते हैं. आज मेरी बेकरी में 40 एम्प्लोयीज है और वे
सभी महिलायें है.
स्ट्रगलर
से एंटरप्रेन्योर बनने के इस सफर में ... का शुक्रिया.

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